Friday, August 7, 2009

hamara middle class

aaj main lower to higher socity ke baar main soch raha tha,dekh rah tha ,ki ooper se laker neeche tak kitna diffrence hain,hogher aur lower socity ki soch main kitna fark hain,middle class ki to bachara piss raha hain ,higher aur lower class ki jang main
middle class rahna chahta hain higher socitry jaisa ,par apni thinking rakhna chahta hain lower class jaisi
kyoki jiske pass kuch nahi hoga,vo sabse bada tyagi hoga,aap usse ek kaam k liye bolenge,aur vo aapke do kaam karne ke liya taiyar rahega,kyoki apna to uska kuch hain hi nahi
le de kar ek samay naam ki chidiya hain uske paas ,use hi vo sabke saath udaane ki liye taiyar rahta hain,sabke dukh dard main jana chahta hain ,sabko apna samajhta hain,kyoki koi use apna nahi samajhta hain
kyoki yahi is duniya ki reet hain,kabhi koi aadmi duniya ke peeche bhagta hain ,to duniya usse door bhagti hain,aur jab uske sitare buland ho jaate hain ,to bo duniya se door bhagta hain ,aur duniya uske peeche bhagti hain
bus yahi duniya ka usool hain ,ise hi aap lower class aur higher class kahte hain
for example:- hamari b.c.c.i ki indian team ko hi le lo,bahut se khiladi aise hain .jo kabhi duniya ke peeche bhagte the ,par duniya unse door bhagti thi,kyoki tab vo lower class main the,ab duniya unke peche bhagti hain par vo duniya se door bhagte hain ,kyoki ab bo highar class main hain
bus middle class kabhi lower class k baare main sochta hain ,aur kabhi higher class k baare main sochta hain
but reh jata hain middle class ka middle class main hi
kyoki izzat,samaj, sab middle class main hi hote hain lower class main koi dhyan nahi deta hain,aur higher class main vo style lagta hain
to becvhara middle class wala apna samaj chod nahi sakta hain,aur samaj se alag hatkar kuch kar nahi sakta hain
to bechara middle class ki middle class main hi rah jata hain
ab vo kare to kya kare ,apna standard maintain karne ke liye
agar apke pass koi vichaar ho to jaroor bataye
brajdeep singh(abhay)

Saturday, June 20, 2009

हमारा स्वार्थ

बहुत दिन से मैं आदमी के निज हितों के बारे मैं सोच रहा था.जिसे हम स्वार्थ भी कहते हैं,क्या हमारे जीवन में स्वार्थ होना चाहिए या नही,सारी रात मैं यही सोचता रहा ,फिर मैंने सोचा की अगर मनुष्य स्वार्थ नही करेगा,तो वो अपने जीवन मैं कुछ नही कर सकता हैं,मेरे कहने का तात्पर्य ये हैं की ,मनुस्य को थोड़ा बहुत स्वार्थ भी करना चाहिए,क्योकि अगर स्वार्थ नही होगा ,तो व्यक्ति कुछ करेगा नही,और जब वो कुछ करेगा नही ,तो उसका मनुस्य योनी मैं होने का कोई फायदा नही होगा,उसका जीवन निहितार्थ चला जाएगा,क्योकि बिना स्वार्थ उसका जीवन उद्दसय विहीन हो जाएगा व्यक्ति को स्वार्थ भी करना चहिये,बहुत से लीग मेरी इस बात से सहमत भी होंगे और बाहुत से नही होंगे,इसलिए मैं यहाँ पर एक छोटा सा उद्धरण देना चाहूँगा
जब श्री राम चंद्र जी श्रीलंका ,सीता माता लेने जा रहे थे,तब समंदर पर आकर उनका काफिला रुक गया क्योकि वहां से आगे जाने का रास्ता नही था ,
तब उन्होंने वहां पर भगवन शिव की आराधना की,उन्होंने वहीँ पर शिव जी की आराधना क्यों की , कुओकी भगवन शिव ही उन्हें आगे का मार्ग दर्शन दे सकते थे
इसलिए मुझे लगा ,राम चंद्र जी श्री लंका जाने के लिए शिव जी की मदद चाहते थे थे
इसलिए ,वहां पर रामजी का स्वार्थ था,तो उन्होंने उनकी आराधना की ,इसलिए स्वार्थ करना भी जरूरी हैं,जब इसकी जरूरत हो
क्योकि व्यक्ति भगवन के पास तभी जाता हैं ,जब उसे किसी चीज की जरूरत हो ,सभी व्यक्ति अपने अपने स्वार्थ कि लिए ही मन्दिर, मस्जिद ,गुरु द्वारा , चर्च जाते हैं ,
सो अगर स्वार्थ होना भी जरूरी हैं, आगरा स्वार्थ नहो होगा ,तो व्यक्ति भगवन को भूल जायगा
और जब व्यक्ति , अपने पिता पर्मशवर को ही भूल जाएगा , .........................................
अब इससे आगे मैं क्या कहूँ
कृपया इस लेख पर अपने विचार अवस्य दे
ब्रज दीप (अभय)

Saturday, June 13, 2009

जीवन और उसके कुछ पहलु

जी हाँ ,ये जीवन हैं ये ही वो वन हैं जहाँ ,जहाँ हर तरीके का वृक्ष हैं ,अगर कुछ सुंदर पेड़ हैं ,तो बुरे पेड़ भी हैं यहाँ पर
यहाँ आपको सभी भोतिक सुख मिल जायेंगे,बस कभी अपने आप से मत पूछना के मुझे कितना और चाहिए जिससे मैं संतुष्ट हो जाओं ,क्योंकि इस वन को आज तक कोई पुरा नही कर पाया हैं ! तुम एक जगह भर दोगे ,तो कोई दूसरी जगह खाली हो जायेगी ,सो जैसा चलता हैं चलने दो ,मेरे एक दोस्त ने कहा हैं ,'हम सबको पता हैं हम उपर कुछ भी लेकर नही जा सकते हैं ,तब इतनी मारा मारी हैं , अगर उपर कुछ सामान ले जाने का सिस्टम होता तब यहाँ पर क्या होता '
कभी कभी लगता हैं ,भगवन ने एक अलग कोम बनाई थी इंसान ,की ये जानवरों से कुछ अलग होगा ,पर हम तो जानवरों को भी पीछे छोड़ने की तयारी मैं लगे हुए हैं ,मैं जानवरों और इंसान मैं विभिन्ताये देख रहा था ,मगर मुझे विभिंता नज़र नही आई ,आज के जीवन मैं इंसान केवल आपने बारे मैं सोचता हैं ,पहले अपना पेट भरने की कोसिस करता हैं ,अपनी जरुरत को पुरा करने की कोशिश करता हैं ,अपनी वासनाओ को शांत करता हैं
अब आप जानवरों के बारे मैं सोचे ! अगर कोई विभिंता आपको नज़र आए तो मुझे जरूर बताना ,तो फिर क्या अन्तेर रह गया जानवर और इन्सान मैं
हिंदू धर्मानुसार - हमारे यहाँ देवता तथा राक्षसः होते हैं
देवता सही कर्मो के लिए जाने जाते हैं तथा राक्षसः बुरे कार्यो के लिए ,हमारे अंदर ये दोनों होते हैं ,ये हमारी इच्छा सकती पर निर्भर करता हैं !की हम किसको प्रकट कर रहे हैं या हम किसको हाबी कर रहे हैं आपने उपर
मेरा कहने का तात्पर्य ये हैं की ,अगर हमे मनुस्य बनाया गया हैं तो जरूर किसी न किसी उदेस्सय के लिए ही बनाया गया हैं ,तो क्यों अपना जीवन दूसरे के सुख देख के दुखी होकर ख़राब कर रहे हो ,अपने अंदर के देवता को बहार निकालो ,और इस योनी मैं बता दो के हम ने वो कर दिया जो एक इंसान को कर दिया
कुछ लोगो ने अपने अंदर के देवता को बहार निकला ,और आज वो अमर हो गये,तो क्या हम साड़ी उमर उनके किस्से ही सुनते रहेंगे ,कुछ ऐसा करो के लोग तुम्हारे किस्से भी सुने ,तुम्हारे परिवार वाले ,तुम्हारे घरवाले गर्व के साथ कह सके की ये मेरा बेटा हैं ,की ये मेरा भांजा हैं ,की ये मेरा दोस्त हैं ,इसका मतलब ये बिल्कुल नही होता हैं की हम अगर एक डॉक्टर बन गये या एक इंजिनियर बन गये या कुछ भी बन गये जीविका चलने के लिए ,तो हमारा जीवन सफल हो गया !
अगर हम इस जीवन मैं एक अच्छे इन्सान न बन सके,तो डॉक्टर और इंजिनियर बन्ने का कोई फायदा नही अरे अपने आप को संतुष्ट तो जानवर भी करते हैं ,कभी दूओस्रो को संतुष्ट करके देखो जीवन मैं कितना आनद आता हैं
इतना आनंद five star मैं खाना खा ke नही आता हैं ,इतना आनंद आराम दायक बिस्तर मैं नही आता हैं, जितना आनंद दूसरो के काम करने मैं आता हैं । उनकी दुआ चीनी से भी मिट्ठी होती हैं
अपने लिए तो दुनिया करती हैं ,कभी दूसरो के लिए भी करके देखो ,जिंदगी जीने का मज़ा आ जाएगा !

Monday, June 8, 2009

ब्यंग

शादी से पहले मैं बेरोजगार था ,आज भी बेरोजगार हु ,फर्क बस इतना हैं पहले कवि था,आज कहानी कर हु ,कवि से कहानी कार बन्ने की भी एक कहानी हैं ,बात शादी से पहले की हैं थोद्दी पुराणी हें ,पहले मैं श्रंगार की कविता लिखता था, सकल सूरत से गीतकारदीखता था ,पर सदीके बाद जब श्री मति जी हमारे घर आई ,मेरे श्रंगारिक रूप को बहुत दिनों तक बर्दास्त नही केर पायी ,एक रात जब मैं कवि सम्मेलन से घर aaya , आब न देखा ताब झगड़ गयी ,

मैंने कहा प्रिया मेरे गीत हें तुम्हारे लिए , बे बोली देखो मुझे बेबकूफ मत बनाओ , सही सही बताओ जब मैं नही थी ,तो किसके लिए आहें भरा कर्त्ते थे , मैंने कहा प्रिया पहले मैं तुम्हारी कल्पना मैं गीत लिखता था अब तुम्हारे प्यार मैं गीत लिखता हूँ, फिर भी तुमको दौब्त फुल दीखता हू ,पर उन्हें मेरी बात samajh मैं नही आई, और और वो नाराज़ होके मायके चली गयी ,वहीँ से चिट्ठी भिजवाई ,गीत लिखना छोड़ दोगे ,तो वापिस ससुराल औंगी वरना साडी उमर मायके मैं बितौंगी ,

लाइफ को खतरे मैं जानकर बीबी की बात मानकर मैं हास्य लिखना सुरु केर दिया ,पर जल्द ही इसका परिणाम भी भुगत लिया , एक कवि सम्मलेन मैं मैं नेता जी पर एक हास्य रचना सुनायी रचना पब्लिक को तो बहुत पसंद आई पैर नेताजी को बिल्कुल नही भाई , रचना की समाप्ति पर , पब्लिक तालियाँ पीट रही थी , और नेताजी मुझे ,

मैं एक हफ्ते अस्पताल मैं रहा , उसके बाद मैंने किसी नेता के बारे मैं कुछ नही कहा ,अगले कवि सम्मलेन मैं मैंने एक पुलिस पैर हास्य रचना सुना दी ,तो एक दरोगा जी ने हमको अपनी पॉवर दिखा दी ,उनकी लाठी को आ गया जोश , मैं तीन दिन तक रहा बेहोश ,छूते दिन मैंने अपने आप को जेल के अंदर पाया किसी तरेह जमानत कराकर घर वापिस आया ,वे बोली पता नही कविता कैसी सुनते हो, मर्द होकर भी पिट जाते हो,

उनकी बातो से मेरा पुरुस जग गया,मैं वीर रस की कविता लिखने लग गया ,बहार से कवि सम्मलेन मैं जब मैंने वीर रस का एक गीत सुनाया उस्सका भी ग़लत परिणाम ही सामने आया ,मेरे ओजस्वी विचारो से लोगो के मन मैं जोश भर गया ,और वहां की व्यवस्था के प्रति आक्रोश बढ़ गया , लोगो ने अपना आक्रोश वहां खड़े एक आधी करी पर उतरा ,इस बात को लेकर आयाज्को ने मुझे बहुत मारा , मैं बहुत चीखा चिल्लाया ,किसी तरह लंगडाते हुए घर वापिस आया

मैंने फटापट उन्हें हाल सुनाया ,बे फिर बोली तुमने फिर गच्चा खाया ,मैंने कहा प्रिया कविता लिखना सरल हें ,पर सुनना बहुत कठिन हें, और अगर सुना दो, तो घर सही सलामत आना कठिन हें

ब्रज दीप सिंह (अभय)

Saturday, April 11, 2009

दिल का दर्द

Hoti hai zindagi apni magar apni nahi
kyu ladkiyo ki shaam-o-sahar apni न
unke liye ankho ko hai jheel banati
kabhi bhi hoti jinki nazar apni nahi
khwaab uske palko pe saja leti hain
aisa safar jiski gard-e-safar apni nahi
safar ke anjaam pe maloom hua use
jispe chal rahi thi wo rehguzar apni nahi
har kisi ke dard ko apna hai banaya
aur apne dard ki hi khabar apni nahi
jisse mile dhoka usi pai yaqeen kare
sheher-e-wafaa ki koi dagar apni nahi
wo shokh titli hai "LAMHA" ke udne do use
wo bani sabki par khud humsafar apni nahi



kaun andaza mere gam ka laga sakta hai, kaun sahi raah dikha sakta hai, kinare walo tum mera dard ko kya jano,dubne wala hi gehrai bata sakta..............

Friday, April 10, 2009

इश्क

शरारत न होती शिकायत न होती ,ख्यालो मैं किसी की नजाकत न होती

न होती बेकरारी न होते हम तनहा ,जो जहाँ मैं कम्बखत ये मोहब्बत न होती

न होते ये सपने ये खुअबो के दुनिया किसी की चाहत की तम्मना न होती

नa जुल्फों की छाया न फूलों की kहुसबू यादो मैं उनकी राते न कटती

जो न होती मोहब्बत ये आंशूं न होते , दिल भी न खोता आज तनहा न रोता

मजनू सी अपनी ये हालत न होती ,जो न होती मोहब्बत ये आंशु न होते दिल भी न खोता आज तनहा न रोता

मेरे जिस्म मैं कैद आखरी साँस तेरा इंतजार करती हैं

तेरे रुखसार को बंद मेरी पलके कब से तेरा इंतजार करती हैं

खुलने को खुल जाए बंद मेरी पलके इस पल मेरी जान यूँ ही

रुखसती को तैयार मेरी रूह सिर्फ़ तेरी कदमो की आहात का इंतजार करती हैं

भारत के नेता

चाँद अगर औरो पे मरेगा क्या करेगी चांदनी ,प्यार मैं पंगा करेगा क्या करेगा चांदनी

लाख तुम फासले उगा लो एकता की देश मैं ,इसको जब नेता चरेगा क्या करेगी चांदनी

जो बचा था खून उसको तो सियासत पि गयी ,खुदकुशी खटमल करेगा क्या करेगी चांदनी

चाँद से हैं खुबसूरत भूक मैं दो रोटियाँ ,भूखा कोई बच्चा मरेगा क्या करेगी चांदनी

आशाये

बनते हैं दोस्त हजारो ,पर निभाता हैं कोई कोई,

आँखों को अच्छे लगते हैं बहुत,पैर दिल को बता हैं कोई कोंई

मिलते हैं बहुत लोगो से दिन के उजाले मैं हम

पर रातो को सपनो मैं आता हैं कोंई कोई

कहने को तो बेशुमार हैं अपने इस दुनिया मैं

हकीकत हैं मगर अपना हो पता हैं कोंई कोंई

किसी का प्यार मिले या न मिले ये मेरी तकदीर पर हैं

खुदा की बंदगी करते हैं लाखो पर खुदा को पता हैं कोंई कोंई

अध्यापक के लिए

एक अध्यापक की हुई सादी तो सुहागरात को दुल्हन का घूँघट उठाते ही अपनी आदतों के अनुसार पर्श्नों की जड़ी लगा दी । बोला तेरा नाम चम हैं या चेमाली ,कोण कोण हैं तेरी सहेली , अपनी और अपनी सहेली की सही सही उमर बता ,तुझे मंनेर्स आते हैं या नही पलंग पर सीधी खड़ी हो जा ,तेरे कितने भाई बहेन हैं ,उनके नाम भी बता,तू कोण से नम्बर पर हैं जरा मुस्कुरा ,तेरा बाप कहाँ जाता हैं ,महीने मई कितना कमाता हैं ,अपने घर का भोगोल बता ,संक्षेप मैं परिवार का इतिहास बता ,जन्म से लेकर अब तक देखि फिल्मो के नाम गिना,कोण सी फ़िल्म किस के साथ देखि जोड़े बना ,सुन केर ढेर सारे सवाल दुल्हन का हो गया बुरा हाल, सर्दी मैं भी पशीना छूट गया ,तब अध्यापक को आई दया ,कमर थपथपापते हुआ बोला घबरा मत हिम्मत से काम ले, चल किन्ही पाँच प्रश्नों के उत्तर दे
दो नैन कमल दो नैन कमल ,घूँघट मैं घनेरी रात लिए ,आँचल मैं भरी बरसात लिए ,कुछ पाए हुए कुछ खोये भी
कुछ जागे भी कुछ सोये भी , चंचल उषा के बाण लिए , गंभीर घटा का मान लिए
जीवन का सजाल संगीत भरे, कुछ हार भरे कुछ जीत भरे ,कुछ बीते दिनों की करबत सी ,कुछ आते दिनों की आहात सी ,किन किन गलियों दीप जलाये सखी,ये भाबरे कित मंडलाए सखी ,सपनो से बोझल बोझल ,दो नैन कमल दो नैन कमल, कुछ घबराए कुछ सरमाये ,कुछ सरमा सरमा इतराए, सखी भेदी भेद न पा जाए, कुछ उलझी सुलझी आशाये
कुछ बुझी बुझी भासये .कुछ बिखरे बिखरे राग लिए,कुछ मीठी मीठी आग लिए ,अनुराग लिए बैराग लिए, कुछ बीते दिनों की करवट सी,कुछ आते दिनों की आहात सी, किन किन गलियों दीप जलाये सखी ,ये भाबरे कित मंडलाए सखी,नैनो से बोझल बोझल दो नैन कमल दो नैन कमल

tu hi meri kamna mere geet ho

mera jeevan savara tum bo preet ho

main ab tak akela tha arthheen tha, jeevan jeevan nahi shok geet tha

tum veena ke taro ka bo sangeet ho,tum meri kamna mera sangeet ho

kisi anjane path per main chalta raha, main her pal mera main jalta raha

man ki agan bujai tum bo sheet ho,tum meri kamna mera sangeet ho

sakdo bandhno main tha main lipta hua, apne akakipan main tha simta hua

mere bandhan tudaye tum bo reet ho,tum meri kamna mera sangeet ho

mere sang sang chalo bhar ke man main umang,ant tak na chute hamara ye sang

unmat rahoon tum ko gata chalo, arthpurn prem ka tum vo geet ho

tum hi meri kamna mera sangeet ho