Friday, April 10, 2009

दो नैन कमल दो नैन कमल ,घूँघट मैं घनेरी रात लिए ,आँचल मैं भरी बरसात लिए ,कुछ पाए हुए कुछ खोये भी
कुछ जागे भी कुछ सोये भी , चंचल उषा के बाण लिए , गंभीर घटा का मान लिए
जीवन का सजाल संगीत भरे, कुछ हार भरे कुछ जीत भरे ,कुछ बीते दिनों की करबत सी ,कुछ आते दिनों की आहात सी ,किन किन गलियों दीप जलाये सखी,ये भाबरे कित मंडलाए सखी ,सपनो से बोझल बोझल ,दो नैन कमल दो नैन कमल, कुछ घबराए कुछ सरमाये ,कुछ सरमा सरमा इतराए, सखी भेदी भेद न पा जाए, कुछ उलझी सुलझी आशाये
कुछ बुझी बुझी भासये .कुछ बिखरे बिखरे राग लिए,कुछ मीठी मीठी आग लिए ,अनुराग लिए बैराग लिए, कुछ बीते दिनों की करवट सी,कुछ आते दिनों की आहात सी, किन किन गलियों दीप जलाये सखी ,ये भाबरे कित मंडलाए सखी,नैनो से बोझल बोझल दो नैन कमल दो नैन कमल

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