समाज के बारे मैं इसके रीति रिवाज़ के बारे मैं
करते नहीं क्यों एक दुसरे से मोहब्बत
सोचते हैं सिर्फ और सिर्फ अपने बारे मैं
सोचता हूँ हम मिटा दू सभी के दुःख दर्द
लेकिन ख्याल आता हैं लोग क्या सोचेंगे मेरे बारे मैं
देखता हूँ सिसकती माँ और भूखे बच्चो को
रेलवे स्टेशन पर सड़क के किनारे मैं
सोचता हूँ पौछ दूँ इनके आंसू और भर दूँ इनके पेट
लेकिन ख्याल आता हैं लोग क्या सोचेंगे मेरे बारे मैं
ठिठुरते हैं लोग नंगे बदन सर्द रातो मैं
अमीर लोगो के कुत्ते सोते हैं गर्म कम्बल और लिहाफो मैं
सोचता हूँ ढक दूँ सभी के तनो को ठंडी रातो मैं
लेकिन ख्याल आता हैं लोग क्या सोचेंगे मेरे बारे मैं
जाती हैं जाने सेकड़ो लोगो की फुटपाथों पर
आये थे लावारिस चले गये लावारिस
सोचता हूँ रूबरू करा दूँ उनको उनकी पहचान के बारे मैं
लेकिन ख्याल आता हैं लोग क्या सोचेंगे मेरे बारे मैं ...........................................