Friday, April 10, 2009

इश्क

शरारत न होती शिकायत न होती ,ख्यालो मैं किसी की नजाकत न होती

न होती बेकरारी न होते हम तनहा ,जो जहाँ मैं कम्बखत ये मोहब्बत न होती

न होते ये सपने ये खुअबो के दुनिया किसी की चाहत की तम्मना न होती

नa जुल्फों की छाया न फूलों की kहुसबू यादो मैं उनकी राते न कटती

जो न होती मोहब्बत ये आंशूं न होते , दिल भी न खोता आज तनहा न रोता

मजनू सी अपनी ये हालत न होती ,जो न होती मोहब्बत ये आंशु न होते दिल भी न खोता आज तनहा न रोता

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