Saturday, June 13, 2009

जीवन और उसके कुछ पहलु

जी हाँ ,ये जीवन हैं ये ही वो वन हैं जहाँ ,जहाँ हर तरीके का वृक्ष हैं ,अगर कुछ सुंदर पेड़ हैं ,तो बुरे पेड़ भी हैं यहाँ पर
यहाँ आपको सभी भोतिक सुख मिल जायेंगे,बस कभी अपने आप से मत पूछना के मुझे कितना और चाहिए जिससे मैं संतुष्ट हो जाओं ,क्योंकि इस वन को आज तक कोई पुरा नही कर पाया हैं ! तुम एक जगह भर दोगे ,तो कोई दूसरी जगह खाली हो जायेगी ,सो जैसा चलता हैं चलने दो ,मेरे एक दोस्त ने कहा हैं ,'हम सबको पता हैं हम उपर कुछ भी लेकर नही जा सकते हैं ,तब इतनी मारा मारी हैं , अगर उपर कुछ सामान ले जाने का सिस्टम होता तब यहाँ पर क्या होता '
कभी कभी लगता हैं ,भगवन ने एक अलग कोम बनाई थी इंसान ,की ये जानवरों से कुछ अलग होगा ,पर हम तो जानवरों को भी पीछे छोड़ने की तयारी मैं लगे हुए हैं ,मैं जानवरों और इंसान मैं विभिन्ताये देख रहा था ,मगर मुझे विभिंता नज़र नही आई ,आज के जीवन मैं इंसान केवल आपने बारे मैं सोचता हैं ,पहले अपना पेट भरने की कोसिस करता हैं ,अपनी जरुरत को पुरा करने की कोशिश करता हैं ,अपनी वासनाओ को शांत करता हैं
अब आप जानवरों के बारे मैं सोचे ! अगर कोई विभिंता आपको नज़र आए तो मुझे जरूर बताना ,तो फिर क्या अन्तेर रह गया जानवर और इन्सान मैं
हिंदू धर्मानुसार - हमारे यहाँ देवता तथा राक्षसः होते हैं
देवता सही कर्मो के लिए जाने जाते हैं तथा राक्षसः बुरे कार्यो के लिए ,हमारे अंदर ये दोनों होते हैं ,ये हमारी इच्छा सकती पर निर्भर करता हैं !की हम किसको प्रकट कर रहे हैं या हम किसको हाबी कर रहे हैं आपने उपर
मेरा कहने का तात्पर्य ये हैं की ,अगर हमे मनुस्य बनाया गया हैं तो जरूर किसी न किसी उदेस्सय के लिए ही बनाया गया हैं ,तो क्यों अपना जीवन दूसरे के सुख देख के दुखी होकर ख़राब कर रहे हो ,अपने अंदर के देवता को बहार निकालो ,और इस योनी मैं बता दो के हम ने वो कर दिया जो एक इंसान को कर दिया
कुछ लोगो ने अपने अंदर के देवता को बहार निकला ,और आज वो अमर हो गये,तो क्या हम साड़ी उमर उनके किस्से ही सुनते रहेंगे ,कुछ ऐसा करो के लोग तुम्हारे किस्से भी सुने ,तुम्हारे परिवार वाले ,तुम्हारे घरवाले गर्व के साथ कह सके की ये मेरा बेटा हैं ,की ये मेरा भांजा हैं ,की ये मेरा दोस्त हैं ,इसका मतलब ये बिल्कुल नही होता हैं की हम अगर एक डॉक्टर बन गये या एक इंजिनियर बन गये या कुछ भी बन गये जीविका चलने के लिए ,तो हमारा जीवन सफल हो गया !
अगर हम इस जीवन मैं एक अच्छे इन्सान न बन सके,तो डॉक्टर और इंजिनियर बन्ने का कोई फायदा नही अरे अपने आप को संतुष्ट तो जानवर भी करते हैं ,कभी दूओस्रो को संतुष्ट करके देखो जीवन मैं कितना आनद आता हैं
इतना आनंद five star मैं खाना खा ke नही आता हैं ,इतना आनंद आराम दायक बिस्तर मैं नही आता हैं, जितना आनंद दूसरो के काम करने मैं आता हैं । उनकी दुआ चीनी से भी मिट्ठी होती हैं
अपने लिए तो दुनिया करती हैं ,कभी दूसरो के लिए भी करके देखो ,जिंदगी जीने का मज़ा आ जाएगा !

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